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5 Simple Statements About शत्रु स्तंभन प्रयोग Explained

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१७) त्रिविध ताप सब दुख नशावहु, तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु॥ प्राणांत संकटे जाते कर्तव्यं भूति -मिच्छता "(निष्प्रयोजन मारण का प्रयोग किसी पर न करे .मरने के समान संकट उपस्थित होने पर अपने कल्याण की इच्छा से मारण के प्रयोग का साधन करे ) अंगन्यास : ऊं ह्लां या ऊं https://bookmarkstime.com/story10527142/the-single-best-strategy-to-use-for-shatru-stambhan-prayog

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